Tuesday 3 January 2012

“खून था जो रगों में वो पानी हो गया”

देखो तोज़माना कैसा दानी हो गया !
खून था जो रगों में वो पानी हो गया.
अरबों के आज हैं घोटाले देश में,
स्विस बैंक के हैं चाबी ताले देश में.
रक्षक ही भक्षक का काम कर रहे,
गाँधी के नाम को बदनाम कर रहे.
कानून सत्ता पक्ष की मनमानी हो गया !
क्योंकि,
खून था जो रगों में वो पानी हो गया.

"सत्याग्रही" चोरों को "ठग" लगते हैं ?
"वन्दे मातरम" फाँसी के पग लगते हैं.
लोकतंत्र लाठियों का वार हो गया,
ज़लियाँ वाला बाग़ शर्म शार हो गया.
राम लीला रावण की कहानी हो गया !
                                                   क्योंकि,
खून था जो रगों में वो पानी हो गया !!

मंत्रियों के बंगले मानो ताज हो गए,
भूखे लोग दानो को मोहताज़ हो गए.
भ्रष्टाचारी चूस गए खून इसका सब,
भारत माता जाये तो कहाँ बेचारी अब?
ज़ब उसका खुद का बेटा ही ज़नानी हो गया !
क्योंकि,
खून था जो रगों में वो पानी हो गया !!


अनुपम अवस्थी "विद्रोही"